शराब
शराब: यह अरबी का शब्द है जिसका अर्थ शर-माने, बुराई तथा आब माने पानी अर्थात् वह पानी जो बुराईयों की जड़ है।
गाव में एक बुजुर्ग व्यकति बता रहे थे पहले के ज़माने में कोई आदमी अगर शराब पी लेता था तो दिन में गाव नहीं आता था , सायं काल गाव आकर गाव के बाहर रुक जाता था , बच्चों को बुलाकर पता करता किसी के घर कोई रिस्तदार तो नहीं आया है ??
फिर छिपते छिपाते रात के अँधेरे में अपने घर आ जाता था . कितना जमाना बदल गया आज छोटे छोटे बच्चे खुलेआम किसी भी जगह जाम छलकते थोड़ा भी शर्म नहीं करते ,
बड़ा दुःख होता है . संस्कारों और चरित्र जिस तरह से ह्रास हो रहा है , बहुत मुश्किल हो गया है ऐसा व्यक्त्ति ,ऐसा समाज मिलाना जो सचमुच इसको दिल से विरोध की हिम्मत कर सके. दिल की वेदना कागज पर उतरने की कोशिश कर रहा हूँ, शायद यह मुश्किल से किसी को अच्छी लगेगी लेकिन अंतरात्मा की आवाज से
लिख रहा हूँ .
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महात्मा गांधी कहते थे शराब शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आर्थिक दृष्टि से मनुष्य को बर्बाद कर देती है। शराब के नशे में मनुष्य दुराचारी बन जाता है वही चेहरा जो शराब पीने से पहले प्यारा, आकर्षक, प्रसन्न, विचारशील लगता था वही चेहरा शराब पीने के बाद घृणास्पद, निकृष्ट, राक्षसों के समान खूंखार, असन्तुलित, अनियंत्रित और वासनात्मक भूखे भेडि़ये के समान लगता है। शराबी का न शरीर पर नियन्त्रण है, न वाणी पर, न दृष्टि पर नियंत्रण है न विचारों पर कोई नियंत्रण है। शराब के साथ व्यक्ति मांस, जुआ तथा वैश्यावृति में फंस जाता है। यदि हम सड़क दुर्घटना मैं होने वाली 1 लाख 28 हजार 914 व्यक्ति जो पिछले वर्ष (2009) में सड़क दुर्घटनाओं मरें, उन पर रिसर्च किया गया तो पाया गया कि उनमें से 70 प्रतिशत दुर्घटनायें चालक की भूल या लापरवाही के कारण होती हैं चालक की लापरवाही से होने वाली भूलों में एक बड़ी संख्या उनकी है जो किसी न किसी नशे के कारण गाड़ी चला कर दुर्घटना करते हैं। हत्याओं तथा अपराधों जिसमें चोरी, डकैती, छीना-झपटी, मारपीट, छेड़-छाड़ व बलात्कार आदि के सभी मामलों में 50 प्रतिशत से अधिक मामलों का मूल कारण शराब पाई गई है अधिकांश अपराध् शराब के नशे मैं किये जाते हैं। शराब माफिया मिलावटी, जहरीली शराब के कारण हजारों व्यक्ति प्रतिवर्ष काल के ग्रास बनते हैं। शराब से जितने राजस्व की प्राप्ति होती हे उससे अधिक धन खर्च तो शराब के कारण होने वाले अपराध की जांच, अपराधियों के रखरखाव शराब के कारण होने वाले दंगे-फसाद, लड़ाई-झगड़े, बलात्कार की रोकथाम, दुर्घनाओं की रोकथाम, कानून व्यवस्था, बनाये रखना, कार्य क्षमता की हानि, कार्य दिवसों की कमी के कारण सकल घरेलू उत्पाद में होने वाली कमी, जेल व्यवस्था व शराब के कारण होने वाली बिमारियों की रोकथाम पर खर्च हो जाता है। शराब के रोगियों में 27 प्रतिशत मस्तिष्क रोगों से, 23 प्रतिशत पाचन-तन्त्र के रोगों से, 26 प्रतिशत फेफड़ों के रोगों से ग्रसित रहते हैं। भारत के पागलखानों में 60 प्रतिशत् वो लोग हैं जो मादक पदार्थों के कारण पागल हुये। शराब व इसके उत्पाद बीयर इत्यादि दुष्प्रभाव शराब की हानियां- o पाचन तंत्र पर प्रभाव – शराब से पाचन-क्रिया मन्द हो जाती है इससे अमाशय में सूजन आती है तथा कब्ज होती है अमाशय में लगातार सूजन होने से वह अल्सर में बदल जाती है। o लीवर पर प्रभाव – इससे लीवर पर सूजन/फैट्टी लीवर हो जाता है या लीवर सिकुड़कर ऐंठ जाता है अधिक शराबियों का लीवर बढ़ जाता है तथा लीवर सिरोसिस या हैपेटाईटिस-सी नामक रोग होकर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। o गुर्दे पर प्रभाव – शराब से गुर्दों की कोशिकायें मृत (डैड ) होने लगती है। वे रक्त को शुद्ध करना बन्द कर देती है, गुर्दे सिकुड़कर छोटे हो जाते हैं। o हार्ट पर प्रभाव – शराब से हार्ट की नस-नाडि़यां सख्त हो जाती हैं, नाडि़यां फैल जाती है उनके अन्दर ब्लोकेज आती है जिससे पहले स्थाई ब्लड़-प्रेशर तथा बाद में कभी हार्ट अटैक हो सकता है। यह मिथ्या धरणा है कि थोड़ी मात्रा में शराब हार्ट के रोगियों के लिए लाभदायक है। o मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव – मस्तिष्क में भ्रम की स्थिति पैदा होती है निर्णय क्षमता खत्म होकर वाणी पर, व्यवहार पर, आचरण पर मस्तिष्क का नियन्त्राण समाप्त हो जाता है। o शरीर पर अन्य प्रभाव – शराब पीने से कैंसर पैदा होने की सम्भावना कई गुणा बढ़ जाती है। असमय बुढ़ापा आता है, चेहरे पर झुर्रियां आती है। शराबी व्यक्ति का मस्तिष्क पर नियंत्रण न होने से वह आत्म-हत्या भी कर लेता है।
गाव में एक बुजुर्ग व्यकति बता रहे थे पहले के ज़माने में कोई आदमी अगर शराब पी लेता था तो दिन में गाव नहीं आता था , सायं काल गाव आकर गाव के बाहर रुक जाता था , बच्चों को बुलाकर पता करता किसी के घर कोई रिस्तदार तो नहीं आया है ??
फिर छिपते छिपाते रात के अँधेरे में अपने घर आ जाता था . कितना जमाना बदल गया आज छोटे छोटे बच्चे खुलेआम किसी भी जगह जाम छलकते थोड़ा भी शर्म नहीं करते ,
बड़ा दुःख होता है . संस्कारों और चरित्र जिस तरह से ह्रास हो रहा है , बहुत मुश्किल हो गया है ऐसा व्यक्त्ति ,ऐसा समाज मिलाना जो सचमुच इसको दिल से विरोध की हिम्मत कर सके. दिल की वेदना कागज पर उतरने की कोशिश कर रहा हूँ, शायद यह मुश्किल से किसी को अच्छी लगेगी लेकिन अंतरात्मा की आवाज से
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महात्मा गांधी कहते थे शराब शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आर्थिक दृष्टि से मनुष्य को बर्बाद कर देती है। शराब के नशे में मनुष्य दुराचारी बन जाता है वही चेहरा जो शराब पीने से पहले प्यारा, आकर्षक, प्रसन्न, विचारशील लगता था वही चेहरा शराब पीने के बाद घृणास्पद, निकृष्ट, राक्षसों के समान खूंखार, असन्तुलित, अनियंत्रित और वासनात्मक भूखे भेडि़ये के समान लगता है। शराबी का न शरीर पर नियन्त्रण है, न वाणी पर, न दृष्टि पर नियंत्रण है न विचारों पर कोई नियंत्रण है। शराब के साथ व्यक्ति मांस, जुआ तथा वैश्यावृति में फंस जाता है। यदि हम सड़क दुर्घटना मैं होने वाली 1 लाख 28 हजार 914 व्यक्ति जो पिछले वर्ष (2009) में सड़क दुर्घटनाओं मरें, उन पर रिसर्च किया गया तो पाया गया कि उनमें से 70 प्रतिशत दुर्घटनायें चालक की भूल या लापरवाही के कारण होती हैं चालक की लापरवाही से होने वाली भूलों में एक बड़ी संख्या उनकी है जो किसी न किसी नशे के कारण गाड़ी चला कर दुर्घटना करते हैं। हत्याओं तथा अपराधों जिसमें चोरी, डकैती, छीना-झपटी, मारपीट, छेड़-छाड़ व बलात्कार आदि के सभी मामलों में 50 प्रतिशत से अधिक मामलों का मूल कारण शराब पाई गई है अधिकांश अपराध् शराब के नशे मैं किये जाते हैं। शराब माफिया मिलावटी, जहरीली शराब के कारण हजारों व्यक्ति प्रतिवर्ष काल के ग्रास बनते हैं। शराब से जितने राजस्व की प्राप्ति होती हे उससे अधिक धन खर्च तो शराब के कारण होने वाले अपराध की जांच, अपराधियों के रखरखाव शराब के कारण होने वाले दंगे-फसाद, लड़ाई-झगड़े, बलात्कार की रोकथाम, दुर्घनाओं की रोकथाम, कानून व्यवस्था, बनाये रखना, कार्य क्षमता की हानि, कार्य दिवसों की कमी के कारण सकल घरेलू उत्पाद में होने वाली कमी, जेल व्यवस्था व शराब के कारण होने वाली बिमारियों की रोकथाम पर खर्च हो जाता है। शराब के रोगियों में 27 प्रतिशत मस्तिष्क रोगों से, 23 प्रतिशत पाचन-तन्त्र के रोगों से, 26 प्रतिशत फेफड़ों के रोगों से ग्रसित रहते हैं। भारत के पागलखानों में 60 प्रतिशत् वो लोग हैं जो मादक पदार्थों के कारण पागल हुये। शराब व इसके उत्पाद बीयर इत्यादि दुष्प्रभाव शराब की हानियां- o पाचन तंत्र पर प्रभाव – शराब से पाचन-क्रिया मन्द हो जाती है इससे अमाशय में सूजन आती है तथा कब्ज होती है अमाशय में लगातार सूजन होने से वह अल्सर में बदल जाती है। o लीवर पर प्रभाव – इससे लीवर पर सूजन/फैट्टी लीवर हो जाता है या लीवर सिकुड़कर ऐंठ जाता है अधिक शराबियों का लीवर बढ़ जाता है तथा लीवर सिरोसिस या हैपेटाईटिस-सी नामक रोग होकर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। o गुर्दे पर प्रभाव – शराब से गुर्दों की कोशिकायें मृत (डैड ) होने लगती है। वे रक्त को शुद्ध करना बन्द कर देती है, गुर्दे सिकुड़कर छोटे हो जाते हैं। o हार्ट पर प्रभाव – शराब से हार्ट की नस-नाडि़यां सख्त हो जाती हैं, नाडि़यां फैल जाती है उनके अन्दर ब्लोकेज आती है जिससे पहले स्थाई ब्लड़-प्रेशर तथा बाद में कभी हार्ट अटैक हो सकता है। यह मिथ्या धरणा है कि थोड़ी मात्रा में शराब हार्ट के रोगियों के लिए लाभदायक है। o मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव – मस्तिष्क में भ्रम की स्थिति पैदा होती है निर्णय क्षमता खत्म होकर वाणी पर, व्यवहार पर, आचरण पर मस्तिष्क का नियन्त्राण समाप्त हो जाता है। o शरीर पर अन्य प्रभाव – शराब पीने से कैंसर पैदा होने की सम्भावना कई गुणा बढ़ जाती है। असमय बुढ़ापा आता है, चेहरे पर झुर्रियां आती है। शराबी व्यक्ति का मस्तिष्क पर नियंत्रण न होने से वह आत्म-हत्या भी कर लेता है।
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