बुधवार, 23 मार्च 2016

पिता जी यादें और होली


कल होली मनाई जाएगी 24 /3/2016    
होली में जो गीत / फ़ाग गया जाता है , उसका साहित्यिक अर्थ बहुत भावनात्मक होता है .
पिता जी स्वर्गिव श्री अवधेश कुमार तिवारी से जो फ़ाग सुनाथा, स्मिृति को प्रणाम करते हुए उसे लिपिवद्ध करने का मन कर रहा है . शायद किसी को आनंद आ जाय .
 पिता जी की बड़ी याद आ रही है


जमुना  तट कदम की डारी
श्याम बाजी मुरलिया तुम्हारी
जुलुम हो गए भारी
कारन सिंगार लगी हाली हाली
अंखिया में सेनुर काजर मंगिआ में डारी
माथे सुरमा मलन लगी प्यारी
ककही लेके चेहरा निहारी
जुलुम हो गए भारी
कांठा हूमेल हार
नाइ लेनी गोड़वा
कड़ा करधनिया झुलाई लेनी गरवा
शीशा उठाई मांग झारी

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